Wednesday, June 17, 2009

चेहरा

चेहरा हर आदमी के पूरे अस्तित्व का आईना होता है। अगर चेहरा ना होतो कुछ भी नहीं है। ये चेहरा ही है जो आदमी को राजा से रंक और रंक से राजा बना देता है। चेहरा पूरे अस्तित्व का दर्पण। जो बिन पूछे ही सब कुछ बंया कर देता है। ये चेहरा ही तो है जो सबको अपना बना लेता है............
और ये चेहरा ही तो है जो अपने होते हुए भी बेगाने हो जाते है।
ज़रा सोचीए अगर ये चेहरा ना होतो क्या हो। बिना चेहरे के तो सारी दुनिया बेगानी सी लगने लगेगी। और आदमी बिना चेहरे के कैसा लगेगा। अरे ये चेहरा ही तो है सब।
चेहरा,चेहरा और सिर्फ चेहरा
तंग आ गये है हम इस चेहरे के भंवर से। जहां देखो वहां हर किसी को बस चेहरे की पड़ी है। हर कोई किसी से बात भी करता है तो बस उसके चेहरे के वजह से। अगर चेहरा सुन्दर ना होतो आदमी उससे बात करना तो दुर वो उससे मुड़ के बात भी नहीं करता है। क्यों.......आखिर ऐसा क्यों होता है। अक्सर ये देखने को आता है कि जो बदसुरत होता है उससे लोग ठीक से बात भी करना पसंद नहीं करते है।इतना ही नहीं जब तक लोगों को जरुरत होती है तब तक लोग बस काम निकालने के लिए बेसुरत बात करते है या काम करवाते है और जब सुन्दर चेहरे वाले आ जाते है तो उस बदसुरत को दुध की मख्खी की तरह दुध से निकाल के फेंक देते है।आप कहेंगे की ये सब बकवास है। लेकिन ऐसा ही कुछ हमारे साथ बीता है और वो भी हमारे ऑफिस में।
हमारे ऑफिस में ऐसे बहुत से सीनियर है जो बस काम निकालना जानते है। वो बस उसी से तब तक रिश्ता रखते है जब तक की कोई उनेक मन का उनके शीफ्ट में नहीं आ जाता है। ये वहीं सीनियर है जो उसी सुरत वाले की कभी बुराई करने से नहीं चुकते है।अरे...हम आप को उनका नाम तो नहीं बाता सकते है लेकिन उनके काम को जरुर बता सकते है । वैसे हमें ये पता नहीं है कि हमारी उनेक बारे में धारड़न सही या नहीं लेकिन इतना पता है कि हमने जो देखा है और जो महसूस किया उसके आधार पर हम सही है।
हां तो कहां थे हम...................हां हम आपको अपने उन सीनियर की बात बता रहे थे। हमारे ये जो सीनियर है वो कल तक हर काम के लिए हमें पूछा करते थे लेकिन आज....आज वो किसी और को पुछते है और हमें इस तरह से देखते है जैसे की हमें तो कुछ आता ही नहीं है। हम तो जैसे नकारे है। पता नहीं वो ऐसा क्यों करते है हमें ये नहीं पता है। लेकिन इतना जरुर पता है कि इस बात के पीछे भी चेहरा है और सिर्फ चेहरा।
निष्ठा