Sunday, April 25, 2010

थरुर का जाना....

लगातार अफवाहों से घिरे रहने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर यूपीए के मौजूदा कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विदा होने वाले एकमात्र मंत्री बन गए हैं। इसके पहले कार्यकाल में ऐसा वाकया विदेश मंत्री नटवर सिंह की विदाई का हुआ था, हालांकि सद्दाम हुसैन की सरकार से ऑयल कूपन लेने के जिस मामले में उन्हें जाना पड़ा था, उसका उनके मंत्री-काल से कोई संबंध नहीं था। अब से कोई दस महीने पहले शशि थरूर का मंत्रिमंडल में आना भारतीय राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत की तरह देखा गया था। देसी सियासत की फिसलन भरी पगडंडियों पर पांव रखे बगैर, एक ग्लैमरस डिप्लोमेट की सर्वोच्च कूटनीतिक दायरे से सीधे लुटियन के टीले पर मारी गई सधी हुई छलांग। कुछ लोगों को तो उनके सुंदर चेहरे में भारत के बढ़ते इंटरनैशनल स्टेचर की बानगी नजर आने लगी थी। मंदी के माहौल में जब सरकार अपने सारे मंत्रियों के खर्चों में कटौती का ढिंढोरा पीट रही थी, तब शशि थरूर महीनों से एक फाइव स्टार होटल में डेरा डाले पाए गए थे। चौतरफा आलोचना के बाद आखिरकार उन्हें होटल छोड़ना पड़ा, लेकिन, इससे पहले वह ट्विटर पर अपने फॉलोअर्स को यह बताना नहीं भूले कि उनके आवास के मद में सरकार को कोई खर्च नहीं करना पड़ा है, इसमें जो भी पैसा लगा है, वह उन्होंने अपनी जेब से दिया है। पारंपरिक राजनीति से पंगा लेने का पिछले दिनों एक भी मौका उन्होंने नहीं छोड़ा और कई बार तो ट्विटर पर ऐसे बयान जारी किए, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य के लिए बिल्कुल ही उचित नहीं कहे जा सकते थे। इसके बावजूद देश हर मौके पर उन्हें माफ करने को तैयार दिखा। मुखर शहरी मध्य वर्ग और युवा पीढ़ी के लोगों ने शशि थरूर की राजनीति को नए जमाने के पारदर्शी लोकतांत्रिक मिजाज के अनुरूप पाया और उनकी गलतियों को नजरअंदाज करने में उसे कोई परेशानी नहीं हुई। यह सिलसिला कभी-कभी 25 साल पहले की याद दिलाता था, जब राजीव गांधी के नेतृत्व में दून मंडली अचानक देश की सत्ता पर छा गई थी। समस्या यह है कि भारत जैसी विशाल बहुआयामी राजनीति में नए लोगों का उतरना जितना आसान है, इसमें उनका टिके रहना उतना ही मुश्किल है। अनजाने में ही यहां की राजनीति उनसे जवाबदेहियों की मांग करने लगती है, जबकि बिना कुछ किए-धरे ही उन्हें इतनी ताकत मिल चुकी होती है कि वे खुद को हवा में उड़ता महसूस कर रहे होते हैं। छन-छन कर आ रही रिपोर्टें बता रही हैं कि शशि थरूर इधर कुछ ज्यादा ही ऊंचा उड़ने लगे थे। लेकिन इनका कहीं ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि सरकार में शामिल कुछ अन्य बड़े नाम आईपीएल के गंदले आकाश में थरूर से भी ऊंचा उड़ते आ रहे हैं। उनके नाम सामने आने से सरकार भी मुश्किल में पड़ सकती है, लेकिन अभी तक उन्हें ढील देते रहना क्या मुश्किलों को न्यौता देने जैसा नहीं था?