Tuesday, February 14, 2012

वो 20 दिन

आज मैं जो भी लिखने जा रही हूं...वो एक सच्ची घटना है....इसको पढ़कर शायद आपका हर लड़के और लड़की पर से विश्वास उठ जाए...लेकिन हकिक़त यही है....और अक्सर हकिक़त बहुत ही बुरी, गंदी और घिनौनी होती है...लेकिन कभी-कभी ये हकिक़त ही हमें सही-ग़लत और अच्छे-बुरे से रुबरु करवाती है...ये हकिक़त ही है जिसे जानने के बाद इंसान या तो जीने का रास्ता खोजता है या फिर जीना ही छोड़ देता है....ये हकिक़त ही अच्छे खासे इंसान को बुरे और बुरे इंसान को अच्छे रास्ते पर चलने को मजबुर कर देती है...ऐसा ही कुछ हुआ है मेरे इन दो दोस्तों के साथ....जो एक दूसरे कि हकिक़त से रुबरु है...लेकिन फिर भी एक दूसरे को चाहते है और एक दूसरे की दिल से कदर करते हैं...लेकिन फिर भी आज तक एक दूसरे को अपने दिल की बात नहीं बता पाए हैं....अब ज्यादा दिमाग ना चाटते हुए...मैं आप लोगों को अपने इन दो दोस्तों की कहानी बताती हूं....




मेरे दो दोस्त....दोनों ही अपनी लाइफ और अपने दोस्तों में सबसे तेज़-तर्रार...और अपनी बात सीधे कहने वालों में से...ये दोनों आपनी-अपनी दूनिया में व्यस्त...इन दोनों को मतलब है तो बस अपने काम...अपने प्यार और अपनी खुशी से...बाकी दुनिया भाड़ में जाए....लेकिन वो कहते हैं ना कि तकदिर का लिखा कोई भी नहीं मिटा सकता है...तो फिर इनकी तकदिर में जो लिखा था वो कैसे मिट सकता था...मेरे ये दोनों ही दोस्त एक दूसरे को नहीं जानते थे...लेकिन कुछ ऐसा हुआ...जिसकी वजह से इन दोनों को एक दूसरे को जानना पड़ा और मिलना भी पड़ा...लेकिन फिर वही तकदिर....तकदिर ने इनका साथ नहीं दिया.....



दरअसल मुझे समझ में नहीं आ रहा है मैं आप लोगों को इनकी कहानी कहां से बताना शुरु करूं....जहां पर खत्म हुई वहां से या फिर जहां से शुरु हुई वहां से....जहां से इनकी लाइफ में दर्द शुरु हुआ वहां से....या फिर जहां से इनकी लाइफ में खुशी आई वहां से....खैर क्या फर्क पड़ता है...जहां से भी शुरु करे...खत्म तो जुदाई से ही होगी....



मेरी जो फिमेल फ्रेंड थी वो काफी दुखी थी...दुखी थी अपने 6 साल पुराने प्यार से और उससे मिली बेवफाई से...वो एक तेज़-तर्रार लड़की थी...मेरे जैसी...खैर मैं कहां अपनी बात लेकर आ गई....हां तो मैं अपनी फ्रेंड की बात बता रही थी....मेरी ये दोस्त दुखी थी...और उसको दुख मिला था अपने प्यार से...हर लड़के की तरह उसके प्यार ने भी उससे प्यारी-प्यारी बातें वादें किए थे...साथ जीने और साथ मरने की कसमें खाई थी...ऐसा नहीं था कि वो उनको निभाने नहीं चाहता था...वो ऐसा चाहता था...लेकिन बेचारा दिल का मारा...उसे तो ये पता ही नहीं था कि वो जिस लड़की से प्यार करता है वो मन ही मन उसे अपना पति मान चुकी है और उसके अलवा किसे के बारे में भी नहीं सोचती है...दिन रात उसी के सपने देखती है...लेकिन वो शायद इन सब बातों से या ये कहें कि वो ये जानते हुए भी उससे अनजान रहना चाहता था...लेकिन वो कहते है ना कि किस्मत का लिखा कोई भी नहीं मिटा सकता है...अगर आपकी किस्तम में किसी का आना लिखा है तो जाना भी लिखा है...हुआ भी कुछ ऐसा ही...इन दोनों की लाइफ में सब कुछ ठीक चल रहा था...लेकिन लड़के लाइफ में एक दिन अचानक कोई और लड़की आ जाती है...वो मेरी दोस्त के भावनाओं के साथ खेलने लगता है...वो दूसरी लड़की के साथ तो वादे करता है ही साथ ही साथ मेरी सहेली को भी झांसे में रखता है...अब मेरी सहेली के प्यार को करीब चार साल होने को आ रहे थे...लेकिन अभी भी उलको नहीं पता था वो लड़का उसको धोखा दे रहा है...मेरी सहेली को शक तो था लेकिन यकिन ना कर पा रही थी...धीरे-धीरे दिन बितते चले गए...एक दिन उस लड़के की बहन मेरी सहेली के साथ रहने आती है...और अब इनके रिलेशन को करीब 6 साल होने वाले थे...मेरी सहले को उसकी छोटी बहन से पता चलता है कि वो लड़का उसे धोखा दे रहा है और उसकी भावनाओं से खेल रहा है..जब मेरी सहेली उससे उस दूसरी लड़की के बारे में पूछती है तो वो कहता है कि हां वो मेरी सहेली से नहीं उस दूसरी लड़की से प्यार करता है...अब तो मेरी सहेली की हालत देखने लायक थी...धीरे-धीरे उसे ये भी पता चला कि वो मेरी सहेली के साथ घूमता फिर रहा था...लेकिन शादी की कसमें और वादें उसके साथ कर रहा था...अपने घर में उस दूसरी लड़की की फोटो दिखा रहा था...दिन रात उसे के सपने देख रहा था...जब मेरी सहेली को सारी हक़िकत पता चला तो बहुत ही बुरी तरह से टूट गई थी...उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि हमें उसे हॉस्पिटल में भी एडमिट करना पड़ा...लेकिन फिर भी उसकी हालत नहीं सुधरी...धीरे-धीरे वो ठीक हो रही थी...कि अचानक एक दिन फिर से उसके बेवफा प्यार के प्यार का फोन मेरी सहेली के पार फोन आता है...और वो उसे खूब खरी-खोटी सुनाती है और बेइज्जत करती है...अब मेरी सहेली ने ये सोच लिया था कि वो उस लड़के का खून कर देगी...लेकिन पता नहीं अचनाक कहां से एक रॉग नंबर लग जाता है...हमारा मतलब है कि...वो अपने बेवफा प्यार को कॉल करती है लेकिन किसी और को नंबर लग जाता है...और उस अनजान से उसकी बात होती है...वो उसको काफी ताकत देता है...हिम्मत देता है...सिर्फ 15 मिनट की बात से मेरी सहेल को लगता है कि वो वाकई उस इंसान को मार कर अपने हाथ और अपने आपको गंदा कर रही है...इसके बाद वो अपने बेवफा प्यार को कॉल करती है और खूब गाली देती है...और अच्छे से सुनाती है...

शायद ये सब आपको कहानी लग रही होगी या फिर ऐसा लग रहा होगा कि ये किसी फिल्म की स्टोरी है...लेकिन ऐसा नहीं...ये सच्चाई है असल जिंदगी की...और वैसे भी असल जिंदगी की कहानी रिल लाइफ में लिखी जाती है...और पेश की जाती है...

मेरी दोस्त अपने पूराने प्यार गाली देने के बाद रोई नहीं और ना ही बेहोश हुई...बल्कि उस दिन उसको एहसास हुआ कि वो सही थी...और वो इंसान गलत...और इसके बाद उसकी जिंदगी में वो मोड़ आया...जिसके बारे में उसने कभी सोचा थी नहीं था...जिस लड़के से उसकी बाई मिस्टेक बात हुई अब वो उसका सबसे अच्छा दोस्त बन गया था...और कब वो उसके इतने करिब आ गया...उसे पता ही नहीं चला...

पहले दिन वो उसके ऑफिस के बाहर मिला...उसे मेरी सहेली बहुत ही सिंपल और प्यारी लगी...और मेरी सहेली को वो बहुत ही अच्छा और सच्चा लगा...वो उनकी पहली मुलाकात थी...धीरे-धीरे वो मिलने लगे और फोन पर बातें होने लगी...एक दिन मेरी सहेली को पता चला कि उसे कोई ऐसी बीमारी है जिसके कारण वो उसेस दूर जाना चाहता है...इतना नहीं कल तक जो लड़का उससे मिलने को बेताब रहता था और 30 किमी से भयानक कोहरे में भी उससे मिलने और उसे लेने उसे ऑफिस पहुंच जाता था...अब वही लड़का उसे अपनी लाइफ से बाहर निकल फेंकना चाहता है...और ये सब हुआ सिर्फ और सिर्फ 20 दिन के अंदर...वो मिले प्यार हुआ और अलग हुए...मात्र 20 दिन के अंदर...मेरी सहेली के दिल में उसके लिए जज्बात आ रहे थें और उस लड़के अंदर मेरी सहेली के अंदर लेकिन वो अपनी बीमारी के कारण उसे अपने जज्बात बता नहीं पा रहा था...लेकिन एक दिन दारु पीने के बाद उसने आखिर अपने दिल की बात उसे बोल ही दी...लेकिन जब होश आया तो वो उस सारी बातों से मुकर गया...इसी बीच मेरी सहेली से फिर एक गलती हुई...उसने उसे दारु और सिगरेट पीता देख उसके बॉस को कॉल कर दिया...और यहीं से उनका बचा खुचा रिश्ता भी खत्म हो गया...उस लड़की नौकरी चली गई...वो उसने गुस्से में मेरी दोस्त को वो सब कहा जो नहीं कहना चाहिए....लेकिन वो अब भी मेरी सहेली से प्यार करता था...ये वो बीस दिन थे जो अब आए और कब खत्म हो गए...मेरी सहेली को पता भी नहीं चला...और एक बार फिर उसके पास रोज रोने और अपने किए पर पछताने के कुछ ना रह गया...अब वो काफी परेशान थी...वो जब भी उस लड़के को कॉल करती वो गुस्सा करता...कॉल ना करने को कह कर खुद भी कॉल पर रिप्लाई करता...जब-जब मेरी सहेली उससे मिलने को कहती वो मना करता...और एक दिन अचानक वो शहर छोड़कर राजस्थान चला गया...सब कुछ छोड़ दिया...लेकिन कुछ नहीं छोड़ पाया तो मेरी सहेली का प्यार...एक दिन फिर उसी लड़के का कॉल आया और वो रात 1.30 बजे उससे मिलने उसके घर आया...और उससे कुछ बातें की...और फिर उससे मिलकर चला गया...इस वादे के साथ मेरी सहेली अपने करियर पर ध्यान दे और उसे भूल जाए...उसे कभी कॉल ना करे...मेरी सहेली उस दिन भी बहुत रोई...उसके सामने भी बहुत रोई...पर उसे वो देखा ना गया...एक तरफ तो उसे दोषी ठहरा राहा था...और दूसरी तरफ वो उसे गले लगा कर उसके आंसू पोंछ रहा था...और फिर वहीं धीरे-धीरे वो उससे अलग हुआ और आहिस्ता से उसे छोड़कर अपनी गाड़ी में बैठकर चला गया...मेरी सहेली फिर रोई और हर बार कि तरह अपने सबसे अच्छे दोस्त को कॉल लगाई...लेकिन उसके दोस्त के लाख समझाने के बावजुद उसे कुछ भी नहीं समझ में आया...अगर कुछ समझ में आया तो सिर्फ इतना कि अब उसे कभी भी कॉल नहीं करेगी....बस यही थी वो बीस दिन की कहानी...यही थी मेरी सहेली की कहानी...

लेकिन अब मेरा आप लोगों से एक सवाल है...कि क्या वो मेरी सहेली के पास वापस आएगा...क्या वो मेरी सहेली से सच में प्यार करता है...क्या वो सच में मेरी सहेली को दोषी मानता...क्या मेरी सहेली भी उससे प्यार करती थी...इन सारे सवालों के जवाब आप दिजिए....

निष्ठा

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